ज़वाब नहीं दिलीप साहब का, अभिनय को जिवंत करना ओह्ह,,
अमित जी को भी काफी सिखने को मिला, कभी नर्वस होते या डायलॉग भूल जाते तो दिलीप साहब उनको अलग ले जा कर समझाया करते थे.
अदाकार-ए-आज़म दिलीप साहब..
फ़िल्म अच्छी है, पर ये फ़िल्म दो बड़े एक्टर के लिए अधिक प्रसिद्ध है..