वास्तव में इस मूवी का विषय 100 % ऑरिजनल है । इस मूवी में आदिवासियों की जमीन विकास के नाम पर उनसे लूटी जा रही है जमीनी हकीकत भी यही है । यही कारण है कि आदिवासियों को अपनी जमीन बचाने के लिए बंदूक का सहारा लेना पड़ा है ।
आदिवासी नक्सली नहीं हैं
उन्हें
जंगली ना कहो साहब
वो तो पूरा का पूरा जंगल हैं
पेड़ों की टहनियाँ हैं
चिड़ियों की चहचहाहट हैं
जंगल मत उजाड़ो साहब
उन्हें
गंदी नाली ना कहो साहब
वो तो झरने से गिरता पानी हैं
अविरल बहती नदी हैं
आदिवासी तो हमारी
परंपरा और संस्कृति हैं
इसको मत बिगाड़ो साहब
उन्हें
आडंबर ना कहो साहब
वो तो
नगाड़े और मांदर की थाप हैं
सेमल और पलाश हैं
करमा, सरहुल और सोहराय हैं
रंग में भंग ना डालो साहब
उन्हें
निकम्मा व निठल्ला न कहो साहब
वो तो बस
अपनी देहरी पर बैठा
अपनी संस्कृति जोहता
टूटता हुआ पहाड़ है
इनको ना खदेड़ो साहब
आदिवासी
नक्सली नहीं है साहब
ये गंदी बस्ती में रहने वाले
भोले भाले
और साफ दिल वाले हैं
इनको अछूता ना कहो साहब
आदिवासी
नक्सली नहीं हैं साहब
नक्सली नहीं हैं................