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यह नाटक बहुत ही आसान भाषा और शब्द विन्यास का प्रयोग करते हुए भारत के सामान्य वर्ग और विशेष वर्ग दोनों को सामान रूप से समझने योग्य है।
इसका मूल निहितार्थ यही है कि यदि सत्ता प्रमुख योग्य नहीं है तो उस राज्य से सम्बंधित व्यकि दुःख उठाता है।