प्यासा एक कवि की अनबुझ प्यास की कहानी है जिसे दुनियाँ नहीं समझती न ही उसकी शायरी को। उसे जब नाम शोहरत और दौलत मिलने को होती है तो वो उसको ठुकरा कर चल देता है । ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्यस है । उसे समाज के उस बर्ताव , attitude से इत्तेफाक नहीं।
गुरुदत्त ने ये फिल्म पूरे दिल से और मेहनत से बनाई थी और ये हमेशा के लिये क्लासिक बन गई। जितनी बार देखें कम है।