ताशकंत फाइल्स फिल्म को देखने के बाद इसके दो पहलू सामने आते हैं.पहला है फिल्म मेकिंग का स्तर और एक्टिंग का स्तर.इस पहलू में फिल्म स्तरीय मालूम पड़ती है और यही कारण है कि ज्यादा तर दर्शकों को फिल्म प्रभावित करती है.लेकिन फिल्म का एक और पहलू भी है और वह है इसका hidden agenda.किसी भी समझदार व्यक्ति को यह साफ दिखाई देता है कि फिल्म डायरेक्टर का वास्तविक उद्देश्य क्या है.शास्त्री जी की मौत के बारे में फैली हुई कई तरह की धारणाओं ,किताबों,interviews को आधार बनाते हुए दर्शकों के दिमाग में यह बैठाने की कोशिश की गई है कि उनकी मृत्यु एक षड्यन्त्र का परिणाम थी जो उनके राजनितिक successor के द्वारा रुसी agencies की मदद से अंजाम दी गई थी और इस प्रक्रिया में भारत शीत युद्ध के दौर में रूस और उसकी साम्यवादी विचारधारा के करीब होता चला गया.
मजे की बात यह है कि इसमें commitee की कार्यवाही दिखाने वाले दृश्यों में एक पुरानी क्लासिकल हिन्दी फिल्म से प्रेरणा ली गई है और वह फिल्म थी-' एक रुका हुआ फैसला'.और वह फिल्म भी किसी विदेशी फिल्म से प्रभावित थी.