जय भीम नाम रखकर अच्छा किया, वरना जय आदिवासी या कुछ और नाम होता तो, लोग इतनी इस फिल्म की चर्चा भी नही करते...
दलित लोग तो बिल्कुल भी नही कुछ अपवादो को छोड़कर.. ये मेरा अनुभव रहा है, देखा है इनको सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड लेवल तक.. इस फिल्म से ये तो पता चला, ये ही हकीकत है इस देश मे आदिवासी लोगो की..
आदिवासी भाई बहनो फ़र्ज़ी एकता नही बनाओ, अपनी हर जगह हिस्सेदारी माँगो, सच का तभी पता चलेगा.. बहुजन के नाम पर अपने हिस्से में आखिरकार क्या आ रहा है..????
रात दिन ब्राह्मणों लोगो को गाली देने के बाद भी, अगर चुनावो एक जगह से एक ब्राह्मण, एक आदिवासी खडा हो जाए तो, ये लोग वोट ब्राह्मण को ही देते है, आदिवासी किसान कबीलाई लोगो को नही..
ऐसे काफी उदाहरण है, और आप लोगो भी देखा परखा कीजिये 🙏
दलित और आदिवासी लोगो मे जमींन आसमान का फर्क है, अगर कुछ कॉमन है तो वो है, दोनो की इस देश के सिस्टम में नाम मात्र है..
अभी इस फिल्म की तारीफ सुनिये, सच ही है.... जोहार