फिल्म एक लाज़वाब फिल्म थी , वहीदा जी की खूबसूरती की जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी , विशेष तौर पर शीर्षक गीत चौदहवीं का चांद हो में उनका सौंदर्य इतना आकर्षक और दैदीप्यमान लगता है जिसकी प्रसंशा को शब्दों में परिभाषित करना असम्भव सा है , कम से कम मेरे लिए तो ⭐⭐⭐⭐⭐