ये आत्मकथा मनुष्य को सकारात्मक नजरिया अपनाने, सामने कितनी भी मुश्किल हो चाहे उसका डटकर सामना करने आदि की और अग्रसर होने का पाठक को हौसला देती है। परंतु इसमे कोई दो राय नही की इसमे बहुत सी गांधीजी की व्यक्तिगत राय दी गई ह जो हर दृष्टिकोण में सही होना जरूरी नहीं।