क्या बवासीर बनाये हो बे, ना इंटीरियर अच्छा है, न कास्ट्यूम, ऐसे बकलोल राइटर ,डायरेक्टर , स्क्रीनप्ले डायरेक्टर कहाँ मिल जाते हैं,
और लोग इस को साई फाई कह रहे हैं, क्या है इस में साई फाई जैसा, हाथ में कोई आई पैड भी नहीं, सोल की डिटेल लिखने के लिए भी गधों ने लेटर पैड इस्तेमाल किया है।
मेमोरी एरीज़ करने के लिए कोई सालिड टेक्निकल मशीन ही दिखा देते, उस में भी सालों ने छोटा हाथी के पहिये को खोपड़ी में रख कर काम निकल लिया।
और कार्गो रिसिप्ट ऐसे निकलती जेसे बस कन्डक्टर दिल्ली से मुम्बई, मुम्बई से आगरा तक का टिकट बना कर दे रहा हो।
बवासीर, भगंदर मूवी।