ग़ज़ल गायकी में ग़ुलाम अली का अभी तक कोई सानी नही। ग़ज़लों को रागों में गाने का भी जवाब नही। उनके शब्दो मे क्लेरिटी होती है। वो ऑडियन्स की पसन्द को जल्दी पकड लेते हैं।
पर एक बात समझ मे नही आती के इस्लाम।मे गाने बजाने पर पाबन्दी है इसके बावजूद बड़े बड़े संगीतकार।बडे बड़े ग़ज़ल व क्लासिकल गय