एक अनोखा प्रयास है जिसे मुसलमानों द्वारा देखा जाना और सराहा जाना चाहिये क्योंकि यह एक ऐसे विषय पर बनी है जिसने दुनिया को आतंकित कर रखा है और यक़ीन जानिए आपको फ़िल्म के अंत में जहां मौलाना पर क्रोध आएगा वहीं बेचारे लगते आतंकवादी पर तरस
शायद मैं एक हिंदू हूँ और इसीलिए यह तरस मेरे मन में आया है क्योंकि जिनके लिए यह फ़िल्म सीख देती है वो तो शायद देखने भी न जाएँ 🥹