सुनो,
सपनों के दुनियाँ में खुली आँखों से तू चलना सीख।
जान स्वयं की कमजोरी धैर्य से तू लढ़ना सीख।
ढाढ़स और संयम की बनकर प्रति मुरत ए बेटी।
महाराणी लक्ष्मीबाई सा इतिहास तू गढ़ना सीख।।
अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व करना सीख।
जो उठाए उसपे उंगली उसे तमाचा लगाना सीख।
कब तक बांधेगी आँखों पर अंधे प्यार की पट्टी।
मात पिता के संस्कारों पर खरा उतरना सीख।।
आंखों में आंखे डालकर आंखों को पढ़ना सीख।
कुछ भी गलत लगे तो उससे संभलना सीख।
मत होने दे अपने आप पर किसी को यूँ हावी।
लव जिहाद के चक्रव्यूह से अब बचना सीख।।
तू है नहीं कमजोर ए बात नीड़रता से बताना सीख।
बातों के पीछे की नियत जरा समझना सीख।
न चल पड़ना यूँ ही किसी के साथ ए छोरी।
क्या होता है अंजाम जाकर देख केरला स्टोरी।।