मैं विपश्यना का साधक हूँ। अपने अनुभव के आधार पर जानता हूँ अपने मन का मालिक बनकर ही दुःख और सुख में सम रहते हुए मुक्ति को प्राप्त किया जा सकता है। यदि हम अपने मन को वश में न कर पाये तो संसार की कोई भी शक्ति हमें भव बंधन से छुटकारा नहीं दिला सकती। यह गीत.... प्रानी अपने प्रभु से पूछे कैसे पाऊँ तोहि। प्रभु कहे तू मन को पा ले पा जायेगा मोहि , बेहद पसंद है।