मुझे बड़ा अफसोस है कि जिस अहिल्याबाई का नाम इतिहास में एक समाज सुधारक , कर्मयोगी , हर किसी के दुख दूर करने वाली , किसी की आंख में आँसू न देख सकने वाली का व्यक्तित्व बेहद निरीह , लाचार , हमेशा रोती रहने वाली बताया है । कल्पना को सीरियल में इतना मत डालिये कि वास्तविक रूप ही नष्ट हो जाए । किसी भी समस्या को पूरा करने से पहले रोती जरूर है । इतना तो हम सामान्य औरतें भी नहीं घबराती , रोना तो दूर की बात है😃😃।सच कहूँ तो फैमिली ड्रामा बना दिया है । महल में कोई भी कभी भी घुस जाता है, सुरक्षा व्यवस्था की तो धज्जियाँ उड़ा दी है।टुक्कू जी जी की पत्नी सबके बीच व्यंग्य मुस्काती रहती है पर किसी की नजर नहीं पड़ती।कमाल है। ऐसी बहुत सी कमियां हैं।कृपया कुछ वास्तविक दिखाएँ नही तो सीरियल को समाप्त करें।। धन्यवाद।